Monday, November 16, 2009

जल्द ही भारत के बारे में यह कहना मुश्किल हो जाएगा कि भारत देश अविभाजित है |

जैसा की आज कल महारास्त्र में चल रहा है की उ प्र और बिहारियों को भगाओ केवल मराठी ही महारास्त्र में नौकरी करेंगे वगेरह | अगर ऐसे ही चला तो वोह दिन दूर नहीं की जब भारत के भी टुकड़े हो जयींगे क्योंकि अब्ब मध्य प्रदेश भी इसी राह पर चल दिया है |
अभी तो यह स्टेट लेवल पर है अगर इसे रूका न गया तो सिटी और फिर कालोनी लेवल पर आ जयीगा, तब लोग कहेंगे जी अरे यह ऑफिस तो हामारी कालोनी का है इसमें केवल इसी कालोनी के लोग काम करेंगे |
हैरत की बात यह है की बड़े-बड़े नेता और देश चालाने वाले चुप्पी साधे है और भारत को बांटा जा रहा है |कुछ समय बाद यह मांग भी आ सकती है की महारास्त्र सीमा सुरक्षा बल की स्थापना हो जिससे दूसरे स्टेट के लोग न आ सके |

एक सवाल सभी से जो यह बोलते है की ऑस्ट्रेलिया गलत है क्योंकि उन् लोगों ने भारतीयों पर हमले किये आप यह बताएं की जब भारत में ऐसा किया जा रहा है की महारास्त्र में उ प्र और बिहारी जॉब नहीं करेंगे तो ऑस्ट्रेलिया कहाँ से गलत है, उसने भी तो यही किया अपने देश के लोगों के लिए भारतीयों पर हमले किये |
कुछ लोग अपने थोड़े से फायदे के लिए देश बात रहे है जब कोई महारास्त्र में बोलता की मैं पहले भारतीय हूँ बाद में मराठी, तो कहा जाता है की मराठीयों का अपमान हुआ है | मनसे में स का मतलब सेना है ऐसे तो सेना का अपमान हुआ है क्योंकि सेना देश के लिए काम करती है | जहाँ देखो लोग सेना जोड़ देते है जबकि सेना के सही मायने क्या है उनेह नहीं पता| कही महारास्त्र को नया देश बनाने की तायारी तो नहीं चल रही है?
लोग सोच को बढ़ाते है यह लोग सीमित करना चाहते है |
अगर जल्द ही इन् सबको रोका नहीं गया तो यह कहना मुश्किल होगा की हम भारतीय है क्योंकी कुछ लोग तो भारतीय कहलाना पसंद नहीं करते है उदाहरन के लिए मनसे महारास्त्र में है ही |






Monday, October 26, 2009

बढता समय घटी मानसिकता |

बढता समय घटी मानसिकता |

जैसे जैसे समय बीत रहा है लोगो ने अपना नया रूप बना लिया है| कुसक समये पहले मैं दीवाली में तत्काल का टिकेट ले ने स्टेशन गया| यह सोअच कर की दीवाली का समय है मैंने अपना फॉर्म पहले ही भर कर स्टेशन चला गया| वहां पैर पहले से ही काफ़ी लोग थे, मैं तीसरे स्थान था| कुछ ही देर में वहां पैर महिलाओं ने अपनी अलग पंक्ति बना ली | एक पुलिस वाले भिया भी अपने अंदाज़ में आकर बोले बाबु जी टिकेट देदो ड्यूटी पर जाना है | एक महिला के पति जी टहल रहे है पत्नी लाइन में लगी है | लड़किया भी बह्स कर रही है उन् लोगों से जो पहले आए है की किसने कहा था इतनी जल्दी आने को ... अब सबसे मज़े की बात महिलाये हो गयी, पुलिस वाला हो गया कमी किसकी थी? तोडा सोचिये ...बस एक विकलांग की... तोडी देर में मुझे पता चला की मेरे आगे एक विकलांग था , मैं तुंरत अपने स्थान से एक कदम पीछे हटा और उसे आगे कर दिया

अब सुबह के आठ बज गया था समय सुरु टिकेट बुकिंग कासबने हल्ला मचाना शुरू किया महिलाएं पहले हम लोग है| पुलिस वाला अरे मुझे दे दीजिये टिकेट ड्यूटी पे जाना हैतभी मेने विकलांग से पुछा आपको कहाँ जाना है , तो बोला मुझे नही जाना है मेरे भाई को जान है| सब लोग किद्की पे टूट पड़े|

सभी विकलांग से पूछ रहे है कहाँ जाना है लेकिन किसी को यह नही की उसका टिकेट दिलवा दे|

पहले तो मेने कुछ सब्र किया की इन् लोगों को टिकेट लेलेने दूँ , लेकिन लोगों की बातें और मानसिकता देख कर मुझे भी गुस्सा ही गया | पहले आपना टिकेट लिया फ़िर विक्लान को टिकेट दिलाया |

बाद में मैं यह सोचने लगा की...

कैसे है पति देव जो कम उमर के है लेकिन अपनी पत्नी का सहारा लेकर टिकेट लेना की इच्छा रखते है|

पुलिस वाले भिया उनकी ड्यूटी है तो बाकी भी ड्यूटी वाले हो सकते है|

और सबसे जायदा ग़लत विकलांग का भाई जो कुछ मजे करके अपने भाई को लाइन में लगा देता है| और दुष्ट भी क्योंकि बाद में पता चलता है की वोह भाई नही दोस्त है

हर एक आदमी दूसरे को पीछे करने में कितना गिर रहा है वहां दिखा|

महिलओं को यह सब छोड़ देना चहिये क्योकि इतना प्रचार किया गया इनके लिएय की लड़का लड़की एक सामान फ़िर भी इनको समझ नही आता है| ठीक है अगर टिकेट लेना ही था टू : का अनुपात रखती|

अगर यही रही तो भारत आगे नही काफ़ी आगे चला जयीगा |